उत्तराखंड

वाॅलंटियर बतौर 38 वें राष्ट्रीय खेल से जुड़ने के लिए अभी तक 30,433 रजिस्ट्रेशन हुए

राष्ट्रीय खेलों में वाॅलंटियर बनने के लिए रजिस्ट्रेशन कराने वाले अभ्यर्थियों को कडे़ इम्तिहान से गुजरना पड़ रहा है। दस मिनट में उनसे सोलह सवाल पूछे जा रहे हैं। राष्ट्रीय खेल सचिवालय ने वाॅलंटियर प्रशिक्षण/चयन प्रक्रिया शुरू कर दी है। चूंकि रजिस्ट्रेशन बहुत ज्यादा हुए हैं, इसलिए एक बार में 500 अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण/चयन प्रक्रिया में शामिल किया जा रहा है। खेल सचिवालय ने 10 जनवरी तक चयन प्रक्रिया पूरी करने का लक्ष्य रखा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के प्रति हर तरफ उत्साह दिख रहा है। हम उतराखण्ड में प्रत्येक व्यक्ति का इस आयोजन से जुड़ाव चाहते हैं। सभी के सहयोग से प्रदेश में खेलों का ये महा आयोजन भव्य रूप में आयोजित किया जाएगा।
वाॅलंटियर बतौर 38 वें राष्ट्रीय खेल से जुड़ने के लिए अभी तक 30,433 रजिस्ट्रेशन हुए हैं। रजिस्ट्रेशन अभी जारी हैं। राष्ट्रीय खेल सचिवालय के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशांत आर्या के अनुसार रजिस्ट्रेशन कराने वाले प्रत्येक अभ्यर्थी को ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जा रहा है। खेल सचिवालय की टीम एक बार में 500 अभ्यर्थियों के साथ जुड़ रही है। कुल 45 मिनट में प्रशिक्षण/चयन प्रक्रिया से संबंधित कार्य संचालित हो रहे हैं। इसमें शुरूआती 35 मिनट में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बाद के दस मिनट में प्रत्येक अभ्यर्थी से 16 सवाल पूछे जा रहे हैं। इसी आधार पर चयन प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है।
वाॅलंटियर बतौर राष्ट्रीय खेलों से जुड़ने के लिए जिस अभ्यर्थी ने जहां से रजिस्ट्रेशन कराया है, उसे वहीं तैनाती देने पर जोर रहेगा। हालांकि चयनित अभ्यर्थियों को यह विकल्प दिया जाएगा कि वह चाहे तो दूसरे जिले में भी अपना योगदान दे सकता है। वाॅलंटियर चयन प्रक्रिया से जुडे़ प्रतीक जोशी के अनुसार-यह बात उत्साहित करने वाली है कि उन जिलों से भी रजिस्ट्रेशन हुए हैं, जहां पर राष्ट्रीय खेलों से संबंधित कोई भी गतिविधि प्रस्तावित नहीं है। जोशी के अनुसार-10 जनवरी तक वाॅलंटियर चयनित हो जाएंगे। इसके बाद, चयनित अभ्यर्थियों को भौतिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। दो से ढ़ाई हजार चयनित वाॅलंटियर इस आयोजन में अपनी प्रत्यक्ष भूमिका निभाएंगे। अल्मोड़ा जिले से 1750, बागेश्वर से 771, चमोली से 1582, नैनीताल से 4119, चंपावत से 1719, देहरादून से 7524, हरिद्वार से 4881, पौड़ी से 1562, पिथौरागढ़ से 1161, रूद्रप्रयाग से 822, ऊधम सिंह नगर से 2355, टिहरी से 1245 और उत्तरकाशी से 942 रजिस्ट्रेशन हुए हैं।

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