Sunday, May 18, 2025
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उत्तराखंड

उत्तराखण्ड में दवा नियंत्रण प्रणाली को तकनीक और गुणवत्ता से जोड़ने की पहल, कार्यशाला मेंतकनीकी नवाचार और क्षमता निर्माण पर हुआ मंथन

राजधानी देहरादून स्थित खाद्य संरक्षा व औषधि प्रशासन (FDA) के कार्यालय में शनिवार को औषधि नियमन प्रणाली को तकनीकी रूप से सुदृढ़ करने और अधिकारियों के क्षमता निर्माण हेतु एक दिवसीय राज्यस्तरीय कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला का आयोजन ड्रग कंट्रोल ऑफिसर्स (आई) वेलफेयर एसोसिएशन और डीसीजीआई डब्ल्यूयू उत्तराखंड चैप्टर द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। कार्यक्रम में औषधि नियमन से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों, विशेषज्ञों एवं औद्योगिक प्रतिनिधियों ने सक्रिय सहभागिता की।

कार्यक्रम का उद्घाटन उत्तराखंड शासन के सचिव (चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण) व आयुक्त एफडीए डॉ. आर. राजेश कुमार ने दीप प्रज्वलन के साथ किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा, “आज के समय में दवाओं की गुणवत्ता केवल स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि सामाजिक विश्वास से भी जुड़ी है। यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि बाजार में उपलब्ध हर दवा सुरक्षित, प्रभावी और वैज्ञानिक मानकों पर खरी उतरे। नियामक अधिकारियों को निरंतर प्रशिक्षित करना और तकनीकी दृष्टि से सशक्त करना इस दिशा में अत्यंत आवश्यक कदम है।”

कार्यशाला में अतिरिक्त आयुक्त (खाद्य एवं औषधि) ताजदार सिंह जग्गी, पूर्व एफडीए नियंत्रक (हरियाणा) एन.के. आहूजा, डीसीजीआई (आईडब्ल्यूयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष कोठेवर राव, महासचिव बलेन्द्र चौधरी और अन्य गणमान्य अतिथि मौजूद रहे।

अधिकारियों को तकनीकी अपडेट रहना अनिवार्य-कोठेवर राव
मुख्य वक्ता कोठेवर राव ने औषधि नियमन की मौजूदा चुनौतियों और डीसीजीआई (आईडब्ल्यूयू) की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा, “दवा नियंत्रण अधिकारियों को विधिक प्रावधानों के साथ-साथ तकनीकी नवाचारों से भी अपडेट रहना चाहिए, ताकि वे प्रभावी नियमन सुनिश्चित कर सकें।”

जीएमपी विश्लेषण और लेबलिंग पर व्यावहारिक सत्र-एन.के.आहूजा

पूर्व एफडीए नियंत्रक एन.के. आहूजा ने दवाओं के नमूना विश्लेषण, जीएमपी (गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस) और लेबलिंग मानकों पर विस्तृत व्याख्यान दिया। उन्होंने अधिकारियों को लेबलिंग से जुड़े व्यावहारिक पहलुओं से अवगत कराया।

“उत्तराखंड में नियामन प्रणाली को पारदर्शी और परिणाममुखी बनाएंगे”-ताजबर सिंह जग्गी
अपर आयुक्त (खाद्य एवं औषधि) ताजदार सिंह जग्गी ने कहा, “हमारा प्रयास है कि उत्तराखंड में औषधि नियंत्रण व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी, उत्तरदायी और तकनीकी रूप से सक्षम बनाया जाए। इस दिशा में विभाग, उद्योग और विशेषज्ञों के बीच निरंतर संवाद और सहयोग अत्यंत आवश्यक है।”

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