Thursday, January 9, 2025
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उत्तराखंड

प्रयागराज महाकुंभ में गंगा को विश्व धरोहर बनाने की मुहिम चलाने उत्तरकाशी से गंगा संकल्प यात्रा का शुभारंभ

गंगा विश्व धरोहर मंच के पहल पर मणिकर्णिका तट पर भजन संध्या के साथ गंगा विश्व धरोहर संकल्प यात्रा का पूजा अर्चना के साथ शुभारंभ हुआ। यह संकल्प यात्रा ऋषिकेश व हरिद्वार होकर प्रयागराज महाकुंभ में साधु-संतों व वैज्ञानिकों के बीच गंगा संवाद करके गंगा स्वच्छता तथा गंगा को संरक्षण का संदेश देने का कार्य करेगी। डॉ. शम्भू प्रसाद नौटियाल ने बताया कि गंगा भारत की राष्ट्रीय नदी व सांस्कृतिक विरासतों में एक है। गंगा ना सिर्फ श्रेष्ठ व पवित्र नदी है बल्कि भारत को एक सूत्र में बांधने का श्रेय भी इसे प्राप्त है। भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्वभर में ऐसी कोई भी नदी नहीं होगी, जिसे इतना महत्व और श्रेय मिला हो। यही कारण है कि गंगा को केवल जल का स्त्रोत नहीं माना जाता है, बल्कि देवी के समान इसकी पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में धार्मिक अनुष्ठान जैसे कई कार्य बिना गंगाजल के पूर्ण व शुद्ध नहीं माने जाते हैं। प्रयागराज महाकुंभ के अवसर पर देश विदेश से आने वाले असंख्य श्रद्वालुओं के साथ गंगा संवाद किया जायेगा। पंडित सुभाष चंद्र नौटियाल ने कहा कि महाकुंभ का महत्व केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है। महाकुंभ मेला आध्यात्मिक ज्ञान, सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का भी महत्वपूर्ण मंच है। इस अवसर पर प्रेम सिंह पंवार, प्रताप सिंह पोखरियाल पर्यावरण प्रेमी, नत्थी सिंह रावत, डॉ. द्वारिका प्रसाद नौटियाल, रामकृष्ण नौटियाल, सुदीप सिंह रावत, धर्मेन्द्र नौटियाल, संजय पंवार, अजय नौटियाल, सुरेश रतूड़ी व ऋषभ नौटियाल आदि उपस्थित थे।

अर्धकुंभ/ कुंभ /महाकुंभ कब और कहां संपन्न होता है और इस वर्ष प्रयागराज में महाकुंभ कैसे आयोजित हुआ संक्षेप में अवगत कराना है कि जब समुद्र मंथन हुआ था तो समुद्र से कई रत्नों के साथ ,विष एवं अमृत भी प्राप्त हुआ था,विष को भगवान आशुतोष द्वारा अपने कंठ में धारण कर लिया था तवसे नीलकंठ कहलाए,और अमृत कलश को भगवान धन्वंतरि को देवताओं के आवंटन हेतु सौपा गया था किंतु इसमें विवाद की स्थिति हो गई तथा एक तरफ इंद्र के पुत्र जयंत के द्वारा उस( घड़े) कुंभ को स्वर्ग लोक ले जाने का लालसा की थी ,किंतु देवता- दैत्यों (दानवों)में छीना-झपटी हो गयी उस कुंभ (घड़े)को बचाने के चक्कर में कभी हरिद्वार गंगा तट पर, कभी प्रयागराज गंगा तट पर, तथा कभी उज्जैन एवं नासिक में ले जाया गया , देवताओं और दानवौ के छीना-झपटी में अमृत की कुछ बूंदें जहां-जहां पर गिरी वहां वहां पर कुंभ का आयोजन हर 12 वर्ष पश्चात होता है तथा केवल गंगा तट पर हरिद्वार एवं प्रयागराज में 6-6 वर्षों में अर्धकुंभ के आयोजन के साथ ही हर बारह वर्ष में पूर्ण कुम्भ होता है इसी के साथ ही जब हरिद्वार और प्रयागराज में कुंभ 12 बार आयोजित होता अर्थात 12 गुना 12 बराबर 144 वर्ष पश्चात एक महाकुंभ आयोजित होता है जो केवल गंगा तट प्रयागराज एवं हरिद्वार में ही आयोजित होता है, अतः इस वर्ष 2025 में लगने वाला विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक मेला प्रयागराज में 144 वर्षों में आयोजित हो रहा है अन्य स्थानों में क्रमशः 12-12 वर्षों पर पश्चात कुंभ आयोजित होता है तथा हरिद्वार एवं प्रयागराज में अर्ध कुंभ 6,- 6 साल के अंतराल में मनाया जाता है, यह दिव्य एवं भव्य महाकुंभ विश्व के सबसे बड़े-बड़े धार्मिक आध्यात्मिक एवं मां गंगा के तट पर लगने वाला सबसे बड़ा आध्यात्मिक मेला है इस मेले में श्री गंगा विश्व धरोहर मंच घोषित हो के मंच संयोजक डॉक्टर शम्भू प्रसाद नौटियाल के नेतृत्व में इस दिव्य और भव्यआयोजन में सम्मिलित होने हेतु एवं विभिन्न अखाड़ा परिषदों/साधु संन्तो से परिचर्चा चर्चा एवं आध्यात्मिक साप्ताहिक प्रवास हेतु प्रयागराज में रहेंगे

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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