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कृषि विज्ञान केंद्र हरदोई द्वितीय द्वारा विकासखंड स्तरीय फसल अवशेष प्रबंधन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के कृषि विज्ञान केंद्र हरदोई द्वितीय द्वारा विकासखंड स्तरीय फसल अवशेष प्रबंधन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कार्यक्रम में फसल अवशेषों के महत्व के बारे में बताते हुए डॉ पंकज नौटियाल , वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र ने कहां की मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए फसल अवशेषों का बेहतर उपयोग किया जाना आवश्यक है अन्यथा हमारी मृदा का स्वास्थ्य प्रभावित होता है तथा पोषक तत्वों की मृदा में कमी हो जाती है जिससे हमारी फसल की उपज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है फसल अवशेषों को जलाने से हमारा वातावरण भी प्रदूषित होता है तथा वायु की गुणवत्ता नकारात्मक रूप से प्रभावित होती है और स्वास्थ्य संबंधी विशेष कर फेफड़ों से संबंधित रोग बढ़ते हैंअतः फसल अवशेषों का उत्तम प्रबंधन आवश्यक है फसल अवशेष के उत्तम प्रबंधन के बारे में जानकारी देते हुए डॉ त्रिलोकी सिंह विषय वस्तु विशेषज्ञ सत्य विज्ञान ने विभिन्न जैसे फसल अवशेषों द्वारा खाद बनाना , पैकिंग मैटेरियल के रूप में फसल अवशेषों का प्रयोग करना आदि विषयों पर प्रकाश डाला, साथ ही बायो फॉर्मूलेशन जैसे हेलो सीआरडी के प्रयोग की विधि प्रदर्शित की। विभिन्न मशीनों के द्वारा जैसे हैप्पी सीडर मल्चर इत्यादि का उपयोग करके भी फसल अवशेष को सुरक्षित किया जा सकता है।फसल अवशेष द्वारा मृदा के स्वास्थ्य को उत्तम बनाने की तकनीक पर डॉ त्रिलोकनाथ राय विषय वस्तु विशेषज्ञ मृदा विज्ञान द्वारा चर्चा की गई। धान के पुआल एवं गेहूं के भूसे द्वारा मशरूम उत्पादन की जानकारी अंजली साहू विषय वस्तु विशेषज्ञ गृह विज्ञान द्वारा दी गई। फसल अवशेषों को जलाने पर कानूनी कार्यवाही तथा जुर्माना किया जा सकता है इन सरकारी नियमों की जानकारी केंद्र के कृषि प्रसार विशेषज्ञ मोहित सिंह द्वारा दी गई। केंद्र की विशेषज्ञ थन्गा अनसूया द्वारा फसल अवशेषों का मछली उत्पादन मैं उपयोग विषय पर किसानों को जानकारी दी गई। इस विकासखंड स्तरीय फसल अवशेष जागरूकता कार्यक्रम में टिकरा खुर्द, पवाया, सरवा, बरैया, पिरनखेड़ा ,मदारी खेड़ा, परसा, पूरवामान, छावन, रामपुर, बसंतापुर आदि विभिन्न गांव के लगभग 150 से अधिक महिला किसानों एवं पुरुषों ने सक्रिय भागीदारी की।

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