Saturday, January 25, 2025
Latest:
उत्तराखंड

एम्स: 1 लाख 33 हजार सर्जरी कर बनाया रिकाॅर्ड, 3 दिन के नवजात से लेकर 90 वर्ष के बुजुर्ग की हो चुकी सर्जरी

10 साल पहले 2 जून 2014 को पहला ऑपरेशन करने के बाद से एम्स ऋषिकेश अब तक 1 लाख 33 हजार से अधिक लोगों की सर्जरी कर उन्हें स्वास्थ्य लाभ दे चुका है। विश्व स्तरीय उच्च तकनीक आधारित स्वास्थ्य सुविधाओं को विकसित करते हुए संस्थान ने यह उपलब्धि हासिल की है। इनमें 3 दिन के नवजात से लेकर 90 साल तक के वृद्ध की सर्जरी भी शामिल है। अपनी स्वास्थ्य समस्या को लेकर इन 10 वर्षों में 53 लाख 45 हजार लोग एम्स की ओपीडी पंहुचे। जिनमें से 3 लाख 84 हजार 400 रोगियों को अस्पताल में भर्ती कर उनका इलाज किया गया।

ऋषिकेश में एम्स की स्थापना होने के बाद जब दिसम्बर 2013 में रोगियों को अस्पताल में भर्ती करने की सुविधा शुरू हुई तो पहली सर्जरी रीढ़ की हड्डी में न्यूरो समस्या से जूझ रहे एक पेशेन्ट की की गयी थी एम्स में यह पहला ऑपरेशन 2 जून 2014 को किया गया था। संस्थान के निदेशक पद पर रहते हुए तत्कालीन न्यूरो सर्जन डाॅ. राजकुमार ने इस सफल सर्जरी को अंजाम दिया था। साल दर साल एम्स की ओपीडी में रोगियों की संख्या बढ़ती चली गयी। इसके साथ ही ऐसे रोगियों की संख्या भी बढ़ने लगी जिन्हें उपचार के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है। स्वास्थ्य तकनीकों को आगे बढ़ाते हुए एम्स ने रोगियों का इलाज करने के मामले में पीछे मुड़कर नहीं देखा। नतीजा यह है कि एम्स के अनुभवी सर्जन डाॅक्टर 31 दिसम्बर 2024 तक कुल 1 लाख, 33 हजार 329 सर्जरी कर चुके हैं। वर्ष 2014 के दौरान बिना माॅड्यूलर के 4 ऑपरेशन थियेटरों से शुरू होने वाले एम्स अस्पताल में अब 64 ऑपरेशन थियेटरों की लंबी श्रृंखला है।

3 दिन के नवजात की सर्जरी
कुछ ऐसे भी नवजात होते हैं जिनकी आहार नाल, सांस नली के साथ चिपकी रहती है। ऐसे बच्चे जन्म लेने के दौरान से ही न तो स्तनपान कर सकते हैं और न ही उनके मुंह से कोई तरल पेय अन्दर जा सकता है। एम्स में ऐसे नवजातों की सर्जरी पिडियाट्रिक सर्जन करते हैं। इस विभाग द्वारा 9 जुलाई 2022 को ऐसी ही समस्या से ग्रसित एक नवजात की सर्जरी की गयी जिसे किसी अन्य अस्पताल ने एम्स रेफर किया था। यह बच्चा एम्स में भर्ती करते समय मात्र 4 घन्टे का था। एक दिन बाद डाॅक्टरों ने इसकी सर्जरी कर दी थी। पिथौरागढ़ का यह बच्चा स्वस्थ होकर अब ढाई साल का हो गया है।

90 साल की वृद्धा की भी हो चुकी सर्जरी
अति वृद्धावस्था वाले लोगों में पैर फिसलने की वजह से कूल्हा टूट जाने अथवा कूल्हा हिल जाने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। एम्स के ऑर्थोपेडिक विभाग के सर्जन ऐसे लोगों की सर्जरी कर कूल्हे का प्रत्यारोपण कर देते हैं। कूल्हा खिसक जाने से पीड़ित छिद्दरवाला की रहने वाली 89 साल से अधिक आयु की ऐसी एक पेशेन्ट की सर्जरी एम्स में 2 मई 2020 को की गयी थी।

अंगों का भी हो रहा प्रत्यारोपण
पिछले वर्ष कांवड़ यात्रा मे आया एक कांवड़िया रूड़की के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। सिर पर गंभीर चोट की वजह से कौमा में जाने के बाद 30 जुलाई को डाॅक्टरों की टीम ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया था। बाद में परिजनों ने स्वेच्छा से इस कांविड़ये के अंग दान कर दिए। जिन्हें चण्डीगढ़ और दिल्ली के अस्पतालों में भर्ती रोगियों को प्रत्यारोपित करने का कार्य भी एम्स ऋषिकेश द्वारा बखूबी निभाया जा चुका है।

’’संस्थान में न्यूरो सर्जरी, कार्डियक सर्जरी, पिडियाट्रिक सर्जरी, यूरोलाॅजी और सभी तरह के कैंसर रोग से संबन्धित सर्जरी की सुविधा उपलब्ध है। यह सभी सुपर स्पेशिलिटी स्तर की सर्जरी हैं। आपात् स्थिति के मरीजों के इलाज की आवश्यकता हो देखते हुए अस्पताल के ट्राॅमा सेन्टर में 2 ऑपरेशन थियेटर विशेष तौर से संचालित हो रहे हैं। यहां मेजर और माईनर स्तर पर औसतन 10-15 सर्जरी प्रतिदिन की जाती है।’’
—— प्रो. सत्या श्री, चिकित्सा अधीक्षक, एम्स ऋषिकेश।

’’ इलाज की आवश्यकता को देखते हुए अस्पताल मे ओटी व्यवस्था रात-दिन संचालित की जा रही हैं। वर्ल्ड क्लास हेल्थ फेसिलिटी और स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में संस्थान की दृढ़ संकल्पिता का ही परिणाम है एम्स में अब अंग प्रत्यारोपण की सुविधा भी उपलब्ध है। गम्भीर बीमारी से जूझ रहे लोगों को जीवन बचाने के लिए अब राज्य से बाहर के अस्पतालों की ओर रूख करने की आवश्यकता नहीं है।’’
—– प्रो. मीनू सिंह, कार्यकारी निदेशक, एम्स ऋषिकेश।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *