Friday, November 29, 2024
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उत्तराखंड

श्राद्ध विशेष: टकनोर क्षेत्र के ज्योतिष एवं कर्मकांड के विद्वान थे पंडित मानपति प्रसाद नौटियाल

टकनोर क्षेत्र के ज्योतिष एवं कर्मकांड के विद्वान पंडित मानपति प्रसाद नौटियाल का जन्म ग्राम गोरशाली पट्टी टकनोर भटवाड़ी के जिला उत्तरकाशी में दिनांक 2 अक्टूबर 1926 को गरीबादत के घर में हुआ। मानपति प्रसाद का बचपन संघर्षों में बीता। बचपन में ही सिर से पिता का साया चला गया था।जिसके बाद बचपन से ही संघर्षशील एवं कुछ करने की ठान कर संघर्षशील रहे। तत्कालीन गुरुकुल शिक्षा 1946 से ग्रहण कर फिर क्षेत्र में कर्मकांड एवं ज्योतिष के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य किया गया। पंडित मानपति प्रसाद द्वारा तत्कालीन समय में कई विद्यार्थियों को कर्मकांड एवं ज्योतिष के क्षेत्र में अपने घर पर ही निशुल्क गुरु कुलशिक्षा देकर आज उनके पढ़ाई गए विद्यार्थी क्षेत्र ही नहीं पूरे प्रांत देश मैं अपनी अमिट छाप छोड़ रहे हैं। जिसमें मुख्यत: ज्योतिष के क्षेत्र में पंडित ज्योति प्रसाद उनियाल, ब्रह्मानंद उनियाल, तीर्थ पुरोहित एवं रावल यमुनोत्री एवं जयंती प्रसाद उनियाल, कृष्ण उनियाल गोरशाली आदि प्रमुख हैं, जो आज विद्वत समाज में प्रसिद्ध कर्मकांड एवं ज्योतिषी हैं। साथ ही समीप के गांव के भी कई विद्यार्थियों को शिक्षित किया। पंडित मानपति प्रसाद द्वारा पढ़ाए गये पण्डित ज्योति प्रसाद उनियाल आज विश्व ज्योतिष सम्मेलन में महासचिव के पद पर आसीन हैं। 1956 -57 में प्रौढ शिक्षा के अंतर्गत बिना वेतन के पंडित मानपति प्रसाद द्वारा ग्राम द्वारी पाही एवं गोरशाली में 40 से 70 वर्ष के वृद्धों को प्रौढ शिक्षा की पाठशाला में पढ़ाया गया। कर्मकांड के क्षेत्र में तत्कालीन कथावाचक को राजश्री व्यास एवं कथा वाचक चंन्द्र शेखर जोशी, देवर्शी व्यासश्री रामगोविन्द वलूनी,गढ़वाल के सुप्रसिद्ध विद्वान सूरत राम शास्त्री के साथ आचार्य के पदों पर रहे हुए कर्मकांड एवं पूजा पाठ भी संपन्न करते रहे। पंडित मानपति प्रसाद द्वारा लगाए गए जन्मपत्रिका आज भी कई लोगों के बीच में विद्यमान है। बिना किसी विद्यालय सहायता एवं संसाधन के पंडित मानपति प्रसाद के द्वारा कई विद्यार्थियों को सुयोग्य बनाया गया है। यही नहीं गांव के आस-पास के गांव में रामलीला का मंचन नाटक एवं जोकिंग आदि क्षेत्र में पंडित मानपति प्रसाद की अहम भूमिका रहती थी। बाद में कई वर्षों तक रामलीला के व्यास के पद पर रहकर उन्होंने अपना विशेष योगदान दिया। अन्त में चैत्र शुक्ल रामनवमी 10अप्रैल 1989 को  मात्र 63 वर्ष में उत्तर काशी में पंन्चतत्व में विलीन हो गए। आज पंडित मानपति प्रसाद नौटियाल के पुत्र पंडित प्रकाश चंद्र नौटियाल शास्त्री, पंडित सुभाष चंद्र नौटियाल और पंडित दिनेश चंद्र नौटियाल जो वासुकी नाग देवता के कुल पुरोहित भी हैं, उनके सिखाए संस्कारों और पुजा विधियों के साथ ही सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेकर समाज को नई प्रेरणा देने का काम कर रहे हैं। पर्यावरण के क्षेत्र में काम कर रहे सुभाष नौटियाल प्रति वर्ष श्राद्ध पक्ष की दसवीं तिथि पर धार्मिक वृक्षारोपण कर पित्रों के संकल्प को आगे बढ़ाने का संकल्प लेते हैं।  पंडित मानपति प्रसाद की ति​थि दसवीं में पूरा परिवार सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

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