उत्तराखंड

उत्तरकाशी में श्याम स्मृति वन एवं हिमालय पादप बैक में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती महाराज के नाम से बनेगी वाटिका

चार धाम की शीतकाल यात्रा के दौरान उत्तरकाशी पहुंचे ज्योतिर्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती महाराज ने आज काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन किए इसके बाद श्याम स्मृति वन एवं हिमालय पादप बैक के सम्मुख रुद्राक्ष, पारिजात एवं वट वृक्ष का रोपण किया। इस दौरान श्याम स्मृति वन एवं हिमालय पादप बैक के अध्यक्ष प्रताप पोखरियाल और श्री वासुकी नाग देवता पुनरोत्थान एवं पर्यटन समिति के अध्यक्ष सुभाष चंद्र नौटियाल भी मौजूद रहे। रुद्राक्ष, पारिजात एवं वट वृक्ष का रोपण करने के बाद इस बात पर सहमति बनी कि इसका नाम ’’ ज्योतिर्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज ’’के नाम से वाटिका का नाम रखा गया है। शंकराचार्य ने इस पुनित कार्य के लिए प्रताप पोखरियाल को बधाई दी और भविष्य के लिए शुभकामनाएं भी दी। बता दें कि ज्योतिर्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती महाराज चार धाम शीतकाल यात्रा पर निकले हैं। पहली बार देश के इतिहास में शंकराचार्य शीतकाल चार धाम यात्रा पर हैं। पहले मां यमुना के शीतकाल प्रवास मुखीमठ और अब मां गंगा के शीतकाल प्रवास मुखबा गांव में शंकराचार्य ने पहुंचकर आरती में भाग लिया। शुक्रवार को शंकराचार्य की उपस्थिति में उजेली में गंगा के तट पर भव्य गंगा आरती का आयोजन हुआ।

इस दौरान श्री वासुकी नाग देवता पुनरोत्थान एवं पर्यटन समिति के अध्यक्ष सुभाष चंद्र नौटियाल ने शंकराचार्य से मिलकर गोरशाली गांव में वासुकी नाग देवता के प्राचीन मंदिर के पुनरोत्थान और भव्य मंदिर बनाने के बारे में जानकारी देते हुए शंकराचार्य का इस पुनित कार्य के लिए आशीर्वाद मांगा, साथ ही उन्हें गोरशाली गांव में आने के लिए आमंत्रित भी किया। जिस पर शंकराचार्य ने अपनी सहमति देते हुए इस पुनित कार्य के लिए पूरा सहयोग करने की बात कही है।

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