दून मेडिकल कॉलेज में नेत्रदान पखवाड़े में मरीज और छात्रों को किया गया जागरुक, Corneal Transplant के बैकलॉग पर जताई चिंता
राजकीय दून मेडिकल कॉलेज देहरादून में नेत्रदान पखवाड़े में आज 4 सितंबर बुधवार को मरीज जागरुकता एवं छात्रों को जागरुक करने का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस की शुरुआत प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉक्टर शांति पांडे ने नेत्रदान के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि दान मरने के बाद किया जाता है| एक आंख से 2 लोगों के जीवन मे रोशनी फैला सकते हैं| प्राचार्य प्रोफेसर ( डॉ. ) गीता जैन ने इस दान के महत्व को एक उदाहरण से समझाया की एक आदमी सड़क पर बिना आँखों के चल रहा है और सामने दो डेथ होती है। एक तरफ अंतिम संस्कार कर देते है| एक मरीज लोगों के जीवन मे सहायक होता है ( 2 लोगों को किडनी, एक मरीज को दिल, एक मरीज़ को लीवर,2 मरीज़ को लंग, 4 लोगों की आँखों में रोशनी दी। चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर ( डॉ. ) अनुराग अग्रवाल ने कहा आप 10 मिनट आंखे बंद करले तो जिंदगी कितनी मुश्किल है तो आप अंधे लोगों को नेत्रदान से रोशनी देकर कितना बड़ा बदलाव ला सकते है| इसे बड़ा पुण्य काम कुछ भी नहीं हो सकता है| प्रोफेसर ( डॉ. ) सुशील ओझा ने पखवाड़े में मरने के बाद जागरुकता की कमी के कारण Corneal Transplant का बैकलॉग हर साल बढ़ रहा है। 20 हजार ट्रांसप्लाट हो रहे है जबकि जरूरत 2 लाख की है। जबकि हर माह लाखो में डेथ होते है|कार्यक्रम में छात्रों में एक नेत्रदान जागरुकता का नाटक भी किया। छात्रों ने पोस्टर भी बनाए जिनमे से पहले तीन लोगों को सर्टिफिकेट भी दिए गए|इस कार्यक्रम में डॉक्टर हिमानी पाल,डॉक्टर नीरज सरस्वत, डॉक्टर दुष्यंत उपाध्याय, सहायक प्रोफेसर उपस्थित रहे |